Categories
Archives

Category: ताटंक छंद

ताटंक छंद ‘भँवर’

ताटंक छंद (गीत) ‘भँवर’ बीच भँवर में अटकी नैया, मंजिल छू ना पाई है। राहों में अपने दलदल की, खोदी मैंने खाई है।। कच्ची माटी के ढेले सा, मन कोमल सा मेरा था। जिधर मिला

Read More »

‘ताटंक छंद,’ ‘माता-पिता’

ताटंक छंद गीत

प्रतिमाओं की पूजा करने, हम मंदिर में जाते हैं।
जिस घर मात-पिता खुश रहते, उस घर ईश्वर आते हैं।

Read More »

ताटंक छंद ‘स्वच्छ भारत’

ताटंक छंद
सुंदर स्वच्छ बनेगा भारत, ऐसा शुभ दिन आएगा।
तन मन धन से भारतवासी ,जब आगे बढ़ जाएगा।।
अलग-अलग आलाप छोड़कर, मिलकर सुर में गाएगा ।

Read More »

ताटंक छंद “नारी की पीड़ा”

ताटंक छंद सम-पद मात्रिक छंद है। इस चार पदों के छंद में प्रति पद 30 मात्राएँ होती हैं। प्रत्येक पद 16 और 14 मात्रा के दो चरणों में बंटा हुआ रहता है। इस छंद में अंतिम तीन मात्राएँ सदैव गुरु = 2 होती हैं।

Read More »
Categories